जबलपुर-मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जिसमें यह कहा गया है कि अगर पत्नी आधुनिक जीवन शैली के अनुसार जीवन जी रही है तो उसे गुज़ारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यह किसी भी प्रकार से गलत एवं अपराध नहीं है लिहाजा यह किसी भी महिला को गुज़ारा भत्ता देने से इनकार करने का ठोस आधार नहीं हो सकता|
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पती की याचिका खारिज
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए पति की याचिका को खारिज कर दिया पति ने याचिका के जरिए ट्रायल कोर्ट द्वारा गुज़ारा भत्ता दिए जाने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि किसी पत्नी को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता कि वह मॉडर्न लाइफस्टाइल जी रही है और या उसके पति की नजर में अनैतिक है|
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ये है पूरा मामला
दरअसल सतना निवासी युवक ने अपनी पत्नी के ऊपर अनैतिक आचरण करने और आधुनिक जीवन शैली जीने का आरोप लगाते हुए माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और बताया था कि वह आधुनिक जीवन शैली जी रही है और किसी भी तरीके से पारिवारिक मूल्यों को मानने के लिये सक्रिय नहीं है पति ने यह भी कहा कि वह उनकी नहीं सुनती है इसलिए वह किसी भी तरीके से गुजारे भत्ते का हकदार नहीं है युवक ने बेटे के भरण पोषण के लिए राशि दिए जाने पर सहमति जताई लेकिन पत्नी को पैसा देने से इनकार किया|
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आधुनिक जीवनशैली जीना अपराध नहीं
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने इस याचिका के निपटारे पर सुनवाई हुई और पति की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया की अपराध किए बिना आधुनिक जीवन जीना बिल्कुल भी गलत नहीं है और इसकी आलोचना नहीं की जा सकती जब तक यह नहीं माना जा सकता है कि पत्नी बिना किसी उचित कारण के अलग रह रही है तब तक उसे भरण-पोषण से इनकार नहीं किया जा सकता गौरतलब है कि जब तक पत्नी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं है वह अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं चाहे रूढ़िवादी हो या आधुनिक हो|