नई दिल्ली -छठ पर्व का त्यौहार हो और शारदा सिन्हा के गीत न बजे ऐसा कैसे हो सकता है आज के जमाने में शारदा सिन्हा किसी भी प्रकार से पहचान की मोहताज नहीं है वह एक मशहूर गायिका और लोग गायिका के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बना चुकी हैं गौरतलब है कि गायिका शारदा सिन्हा लंबी बीमारी से पीड़ित थीं और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था आज 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली है और अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गई है कि उनके बेटे अंशुमान सने पोस्ट लिखकर मां शारदा सिन्हा के निधन की जानकारी दी छठ पूजा के गीत गाकर मशहूर हुई शारदा सिन्हा का निधन छठ पर्व के पहले व्रत यानी कि नहाए खाए के दिन हुआ है या अद्भुत संयोग है।
पद्म भूषण से किया गया था सम्मानित।
लोक गायिका शारदा सिन्हा को 2018 में सरकार के द्वारा पदम भूषण से सम्मानित किया गया था बताते चलें की शारदा सिन्हा छठ पूजा पर आधारित गीत को दीनानाथ को लेकर लोगों के बीच में आई थीं और यह विश्व प्रसिद्ध हुआ था शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को सुपौल जिले के गांव हुलसा में हुआ था बेमिसाल नारी शक्ति के रूप में शारदा सिन्हा ने अपनी पहचान बनाई और बहुत शांत से उन्होंने विदा लिया।
भारत के प्रधानमंत्री ने व्यक्त श्रद्धांजलि।
पद्म भूषण के अतिरिक्त भी शारदा सिन्हा को तमाम पुरस्कार मिले जिसमें से बिहार कोकिला, भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न मैथिली विभूति तथा अन्य कई ऐसे सम्मान मिले जिनके बारे में अगर बताया ना शुरू किया जाए तो काफी वक्त लगेगा और उन्होंने बेहतरीन छठ के गीत गाए और प्रसिद्धि के शिखर को छुआ आज भी उनके गीत लोगों के बीच में काफी प्रचलित हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शारदा सिन्हा की मृत्यु पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी है इससे पहले भी उन्होंने इलाज का हर संभव प्रयास करने और पूरी मदद करने का आश्वासन उनके बेटे को दिया था।