नई दिल्ली -विश्व के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने 9 अक्टूबर 2024 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया बताते चलें कि वह सिर्फ एक उद्योगपती ही नहीं थे बल्कि विख्यात समाजसेवी एवं महादानी भी थे उन्होंने देश के बुरे वक्त में भी अपना खजाना खुलकर लुटाया चाहे वो कोरोना काल की बात हो या किसी और समय की बात हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा ने शादी नहीं की थी? लेकिन उन्होंने एक जमाने में मोहब्बत की थी आखिर ऐसा क्या हुआ कि रतन टाटा की प्रेम कहानी अधूरी रह गई आइए जानते हैं क्योंकि वो जिंदगी की किसी मोड़ पर जब चाहे शादी कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया आइए इसके पीछे का राज़ आपको बताते हैं|
रतन टाटा के जीवन की शुरुआत
भारतीय उद्योगपति रतन टाटा का जीवन त्याग और समर्पण से भरा रहा उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था उनका पालन पोषण एक विशेष उद्योगपति परिवार के द्वारा किया गया जो टाटा समूह की विरासत का एक प्रमुख का अंग था रतन टाटा टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परिवार से आते थे जिन्होंने भारतीय उद्योग जगत में टाटा ग्रुप की ना सिर्फ नींव रखी है बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया उनकी माँ का नाम सोनू टाटा था और वे नौशेरवांजी टाटा के बेटे थे रतन टाटा के माता-पिता का तलाक उस समय हुआ जब उनकी उम्र महज 10 साल थी इसके बाद उनका पालन पोषण उनके दादी नवाजबाई टाटा के द्वारा किया गया उन्हें उनके माँ का प्यार और पिता का प्यार नहीं मिल पाया|
उच्च शिक्षा के लिये अमेरिका का किया रुख
रतन टाटा की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉमन स्कूल में हुई इसके बाद हायर स्टडीज़ के लिये वह अमेरिका चले गए जहाँ पर उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वास्तु कला और इंजीनियरिंग में बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की उनके शैक्षणिक जीवन में उनकी सोच को बहुत व्यापक और वैश्विक दृष्टिकोण से प्रभावित किया इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से ऐडवान्स मैनेजमेंट प्रोग्राम में एमबीए किया जिसके बाद उन्हें उद्योग की जटिलताओं को गहराई से समझने का काफी अधिक अवसर मिला|
अधूरी रह गई थी रतन टाटा की प्रेम कहानी
रतन टाटा का जीवन काफी प्रेरक है और त्याग तथा समर्पण से भरा हुआ है लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा ने भी कभी प्यार किया था बताते चलें कि उनका जीवन समय का हाल भी रहस्य मय और नीचे रखा गया उनके बारे में बहुत सारी बातें बहुत कम लोगों को ही पता है हालांकि उनके जीवन में एक अनकही और दिलचस्प प्रेम कहानी ने भी एक जमाने में सांस लेना शुरू किया था लेकिन वो असमय ही खत्म हो गई थी|
खुद इंटरव्यू में किया जिक्र
रतन टाटा की प्रेम कहानी का जिक्र खुद रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में किया था जब 1960 के दशक में भी अमेरिका में अपनी पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उनकी मुलाकात एक युवती से हुई जिससे वह मन ही मन मोहब्बत करने लगे उनका यह प्रेम काफी गहरा था और वे दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हो गए थे रतन टाटा उस समय अमेरिका में ही रहना चाहते थे और अपने ज़िंदगी का आगे का जो समय था वहीं पर पूरा करना चाहते थे|
परंतु इस प्रेम कहानी का अंत काफी दिल को छूनेवाला हुआ जब रतन टाटा की दादी की तबियत खराब हो गई और वे भारत वापस लौट आए उन्होंने सोचा था क्योंकि प्रेमिका भी जल्दी भारत आ जाएगी और वे यहाँ पर शादी कर लेंगे लेकिन भारत और चीन के बीच 1962 का युद्ध छिड़ गया और उनकी प्रेमिका के परिवार ने भारत आने से पूरी तरह से मना कर दिया इसी तरह की परिस्थितियों के कारण उनकी प्रेम कहानी जो शुरू हुई थी लेकिन कभी पूरी नहीं हो सकी यह चाहते हैं तो वहाँ जाकर रह सकते थे शादी भी कर सकते थे देश में आकर भी शादी कर सकते सकते थे लेकिन उन्होंने काम को ही अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया|
देश समाज व्यवसाय और काम को समर्पित कर दिया पूरा जीवन
रतन टाटा ने अपना पूरा जीवन व्यवसाय समाजसेवा और देश के लिये समर्पित कर दिया काम ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था बताते चलें कि उनकी प्रेम कहानी आज भी एक अनकही और गहरी संवेदनशील कहानी के रूप में जाने जाते हैं यह उन लोगों को काफी सीख देती है जो छोटे से ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन में चले जाते हैं और परेशान हो जाते हैं लेकिन रतन टाटा ने ऐसा नहीं किया वहाँ अपने ब्रेकअप के बाद यानी की अपने प्रेम कहानी के खत्म होने के बाद भारत आए और कठोर परिश्रम से काम करना शुरू किया पर आज आप सब रतन टाटा को एक महान आत्मा के रूप में जानते हैं|
आम भारतीय के लिए पूरा किया कार का सपना
प्रेम रतन टाटा ने एक महत्वपूर्ण कदम 2008 में उस वक्त उठाया था जब उन्होंने एक सपना देखा कि भारतीय व्यक्ति के जो कार का सपना है वह पूरा होना चाहिए लेकिन भारत में अमूमन कार इतनी महंगी मिलती थी कि आम लोग इसे नहीं खरीद पाते थे इसलिए महज ₹1,00,000 में उन्होंने नैनो कार लॉन्च किया नैनो का विचार उनके दिल से जुड़ा हुआ था उन्होंने आम जनता के लिए एक उपहार के रूप में इसे प्रस्तुत किया हालांकि नैनों ने व्यावसायिक रूप से काफी अधिक सफलता नहीं पाई लेकिन यह उनके सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है क्या कि वो आम लोगों के लिए भी कितना सोचते हैं|
टाटा की सँभाली बागडोर
1991 में जब जेआरडी टाटा सेवानिवृत्त हो गए तब रतन टाटा ने टाटा समूह की बागडोर का नेतृत्व संभाल लिया उस समय टाटा समूह कुछ शुरुआती और सुरक्षित व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था लेकिन रतन टाटा की सोच काफी अलग थी जो कि उनके काम में भी दिखने लगी वैश्विक मंच पर उन्होंने टाटा को लेकर जाने का जो सपना देखा था उसे पूरा कर लिया उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अनेक नवाचार किए और नए क्षेत्रों में काम शुरू किया और उसका विस्तार भी किया|