नई दिल्ली- मध्यप्रदेश और राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बुलडोजर एक्शन काफी प्रचलित हो रहा है ऐसे ही मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नसीहत दी है सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है की वह आरोपी है उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है तो कानून के द्वारा निर्धारित समुचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता|
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तैयार की जाये एक गाइड लाइन
अदालत ने यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि इस मामले में एक गाइडलाइन तैयार की जाए जिसका संपूर्ण देश में पालन किया जाए इसके साथ ही बेंच ने केस की अगली सुनवाई 17 सितंबर को मुकर्रर की है बेंच ने यह भी कहा कि हम इस मामले में गाइडलाइंस तय करेंगे बेंच के द्वारा यह कहा गया कि मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति अपराधी ही है तो वह भी बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये उसका घर ध्वस्त कैसे किया जा सकता है हालांकि जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विस्वनाथन की बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि हम अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देंगे वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने परविचार करने का प्रस्ताव करते हैं|
केंद्र सरकार ने दिया यह जवाब
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के राशिद खान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कहा की हम सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण का समर्थन नहीं करते लेकिन बिना समुचित एवं विधिक प्रक्रिया का पालन किए बिना बुलडोजर की कार्रवाई भी सही नहीं है इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहा कि ऐसा नहीं होता है कि किसी को सिर्फ आरोपी या दोषी ठहराए जाने पर ही निर्माण गिरा दिया जाए मेहता ने कहा कि ऐसा तभी होता है जब निर्माण अवैध हो इसलिए जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही ऐक्शन लिया जाता है|