Smartphone is becoming a slow poison for teenagers-बड़ी आसानी से आज किशोरों के हाथ में स्मार्टफोन पहुँच गया है यह उन्हें धीमे जहर की तरह नुकसान पहुंचा रहा है सोते जागते तथा दिनचर्या करते हुए उनके हाथों में स्मार्ट फ़ोन इस तरह से चिपक गया है जैसे की चुंबक हो लेकिन हालिया रिपोर्ट में इस ब्लू स्क्रीन के कारण किशोरों को तमाम तरह की मानसिक परेशानी को लेकर चिंता बढ़ती गई है रिसर्च के मुताबिक इस स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले किशोरों को चिंता अवसाद और अनिद्रा जैसी तमाम समस्याएं हो सकती है और तमाम लोगों को अपने चपेट में ले भी रही है|
ब्रिटेन में किया गया है रिसर्च
इस विषय पर ब्रिटेन में 13 से 16 साल तक के किशोरों के एक बड़े समूह पर यह अध्ययन किया गया है तथा इस रिपोर्ट को बीएमजे मेंटल हेल्थ में प्रकाशित किया गया है जिसमें दुनिया के वरीष्ठ वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के द्वारा स्मार्ट फ़ोन से किशोरों में होने वाली बेचैनी डिप्रेशन और अनिद्रा की दिक्कतों को होने का दावा किया गया है बताते चलें कि किंग्स कॉलेज लंदन में मनोचिकित्सा मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के द्वारा यह दावा किया गया है कि लगभग हर पांच में से एक किशोर स्मार्ट फ़ोन के कारण भयंकर समस्या का सामना कर रहा है|
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बच्चे नाराज न हों इसलिये थमा देते हैं स्मार्टफोन
इस विषय में परिजनों की भूमिका काफी ज्यादा जिसमे की बच्चे नाराज न हो इसलिए उनके हाथों में स्मार्टफोन थमा दिया जाता है बता बीच में ही करीब 700 किशोरों पर किए गए इस रिसर्च के डेटा से या पता चलता है कि जिन किशोरों ने स्मार्ट फ़ोन से परेशानी की बात कही फिर उनमें अवसाद की संभावना अन्य की तुलना में तीन गुना अधिक पाई गई|
माता पिता को रहना होगा सतर्क
आज के इस युग में बिना स्मार्टफोन के 1 दिन में बिताना संभव नहीं है लेकिन यह मोबाइल फ़ोन फोबिया को जन्म दे रहा है मोबाइल के बिना रहने का यह डर भारत में भी कोई किशोरों में है जिसके कारण उन्हें डिप्रेशन जैसी दिमाग की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है भारत में स्मार्टफोन की बैटरी 20 फीसदी या इससे कम होती है तो 72% यूजर यानी की प्रत्येक चार में से यूजर परेशान हो जाते हैं चिंताग्रस्त हो जाते हैं|