सिंगरौली-बिलौंजी स्थित शासकीय अग्रणी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जिसे कि लीड कॉलेज और डिग्री कॉलेज के नाम से जाना जाता था उसका नाम बदलकर पीएम कॉलेज आप तो रख दिया गया है लेकिन शिक्षा व्यवस्था जस की तस है आपको बताते चलें कि यहाँ की शिक्षा व्यवस्था इतनी बदहाल है की बीए, बीएससी, बीकॉम के छात्रों को दसवीं स्तर का भी ज्ञान नहीं है कुछ ऐसे भी छात्र हैं जिन्हें अपने सब्जेक्ट तक नहीं पता हैं आपको जानकर हैरानी होगी की महा विद्यालय में पदस्थ प्रोफेसर भी बच्चों को पढ़ाने में कोई खास रुचि नहीं लेते और उनके ज्ञान का स्तर भी काफी निम्न है अगर उनके द्वारा ठीक तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता तो स्थिति कुछ अलग होती है|
कभी कभार ही लगती है क्लास
बीए ,बीएससी, बीकॉम सहित एमएससी पाठ्यक्रमों में कभी कभार ही क्लास लगती है भुलने जाने के बावजूद भी गुरु जी का दर्शन दुर्लभ हो जाता है और जो क्लास लगती भी है उनकी प्रोडक्टिविटी इतनी नहीं होती की छात्रा उससे कुछ सीख सकें और उसे अपने कैरिअर को बनाने में उपयोग कर सकें नवीन शिक्षा निति उसके मुताबिक छात्रों को रखने के बताए सीखने और समझने पर ज़ोर दिया गया है लेकिन प्रोफेसर्स का भी यह दायित्व है कि छात्रों को सब्जेक्ट को समझाया जाए चीजों को बताया जाए लेकिन डिग्री कॉलेज में यह देखने को नहीं मिलता है जिसके कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि आज का ज़माना जो है वह कठोर प्रतियोगिता का है ऐसे में जो छात्र ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन में ही अच्छे से पढ़ाई नहीं करेंगे उनका भविष्य कैसा होगा ये काफी चिंता का विषय है|
विद्वान प्रोफेसर्स की भारी कमी
लीड कॉलेज में प्रोफेसर की पदस्थापना तो है लेकिन विद्वान प्रोफेसर्स की भारी कमी भी है ऐसे प्रोफेसर्स बहुत कम हैं जो कि किसी भी विषय को बहुत ही अच्छे और बारीक तरीके से छात्रों को समझा सकें उन्हें तथा उनके भविष्य के बारे में उन्हें आगाह कर सकें तथा उनके आगे के जीवन में जो डिग्री वो पढ़ रहे है उस डिग्री और पाठ्यक्रम के आधार पर क्या उपलब्धियां हैं उस विषय में बता सकें नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है यहाँ पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है इसलिए जिन छात्रों के पास पैसा होता है या उनके पास अच्छी काबिलियत होती है इसीलिए वह बाहर के विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए जाते हैं लेकिन इसमें उन छात्रों की क्या गलती जो कि यहाँ पर पढ़ाई करने के उद्देश्य जाते हैं क्योंकि यहाँ पर जो प्रोफेसर्स हैं उन्हें सैलरी तो मिलती ही है|
परीक्षा कार्यक्रम भी लेट
इन सबके बावजूद “एक तो करेला दूसरे नीम पर चढ़ने” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है एक तो यहाँ पर पढ़ाई नहीं होती दूसरे अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का जो परीक्षा कार्यक्रम है इस वर्ष काफी लेट हो गया है जिसके कारण छात्रों की डिग्री समय से पूरी नहीं हो पा रही है ऐसे में संभावना है की जो डिग्री 4 ससल में पूरी हो जाती उस एपुर होने में 5 साल लग सकते हैं या जो pg का कोर्स 2 वर्ष में पूरा हो जाता उसे पूरा होने में संभवतः 2.5 साल लग जाएंगे और इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा|