सिंगरौली-ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन में हुए मुआवजा वितरण घोटाले की जांच के लिए हाईलेवल इन्क्वायरी का आदेश मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के द्वारा दिया गया है जिसके परिपालन मेंजांच टीम सिंगरौली में पहुंची थी और कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में शिकायतकर्ताओं से दस्तावेज लेने की औपचारिकता की गई हालांकि ये बात और है कि सभी शिकायतकर्ताओं को जांच टीम से मिलने भी नहीं दिया गया|
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भरी दोपहरी में आये थे आवेदक
कलेक्टर सिंगरौली की फेसबुक अकाउंट से शिकायत कर्ताओं को अपनी बात रखने के लिए और जांच टीम से मिलने के लिए सभा कक्ष में बुलाया गया था और सभी शिकायतकर्ता भरी दुपहरी में पहुंचे भी थे लेकिन यहाँ पर जांच टीम और अधिकारियों की भारी असंवेदनशीलता दिखी शिकायतकर्ताओं को जांच टीम से मिलने भी नहीं दिया गया जांच अधिकारी एयर कंडीशनर में बैठकर अपनी जांच की औपचारिकता को पूरी कर रहे थे तो वहीं भयंकर गर्मी में शिकायतकर्ता बाहर परेशान हो रहे थे कुछ गिने चुने लोगों को ही अंदर जाने की इजाजत दी गई और उन्हीं लोगों से मिलकर इस जांच की औपचारिकता को पूरा कर दिया गया यह जांच संभागायुक्त रीवा ,उप महानिरीक्षक पंजीयन जबलपुर प्रभाकर चतुर्वेदी व अन्य अधिकारी शामिल थे|
भ्रष्ट लिपिक के हवाले दस्तावेज़ की जिम्मेदारी
मुआवजा वितरण घोटाले की जांच के मामले में जांच टीम और अधिकारी कितने गंभीर हैं इस बात का पता इससे चलता है कि जीस लिपिक को लोकायुक्त ने कुछ दिनों पहले ही भूअर्जन की राशि वितरित करने के एवज में भू स्वामी से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था उसी की हवाले मुआवजा घोटाले की जांच करने आई टीम को मिले शिकायतों एवं दस्तावेजों की जिम्मेदारी दी गई है इसी लिपिक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं उसे इतने महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जिम्मेदारी दी गई है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल जो है वह यह उठ रहा है कि जांच टीम को कौन से दस्तावेज दिए गए होंगे और उन दस्तावेजों को ऐसे भ्रष्ट चरित्र के लिपिक को सौंप दिया गया है यह तो समझ से परे है|
क्या कहते हैं शिकायतकर्ता और पीड़ित
जांच टीम के इस रवैये को देखते हुए शिकायतकर्ताओं में निराशा की लहर व्याप्त हो गई है बताते चलें की शिवपाल शाह नाम के शिकायतकर्ता ने यह कहा की जब जांच टीम से मिलने ही नहीं दिया गया तो क्या उम्मीद की जाये|