दमोह-महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना(Mahatma Gandhi National Employment Guarantee Scheme) के तहत गांव के लोगों को रोजगार दिए जाने का प्रावधान है यह योजना इसी लिए शुरू की गई है ताकि ग्रामीण स्तर पर ही लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सके लेकिन ग्रामीण स्तर पर लोगों को रोजगार मुहैया हो रहा हो या ना हो रहा हो लेकिन जिले के जो वरीष्ठ अधिकारी हैं और जो आसपास के जनप्रतिनिधि जैसे सरपंच सचिव हैं उनकी जेबें जरू गरम हो रही हैं क्योंकि फर्जी तरीके से ये लोग मज़दूरों के खाते में पैसा डालकर जमकर अंधाधुंध काली कमाई कर रहे हैं लेकिन अब मनरेगा योजना को इस तरह से डिजाइन कर दिया गया है कि उसमें कितना भी कोई भ्रष्टाचार करें और भ्रष्टाचार पकड़ा जाएगा ऐसा ही एक मामला सामने आया है दमोह में|
दमोह जिले में करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर
मध्यप्रदेश के दमोह जिले में मनरेगा अंतर्गत करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार उजागर हुआ है बताते चलें की जांच में यह सिद्ध पाया गया है इसके बावजूद भी दोषियों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि वरीष्ठ अधिकारियों की भी इसमें पूर्ण मिलीभगत होती है करोड़ों रुपये का घोटाला कोई छोटा अधिकारी नहीं कर सकता फिलहाल इस मामले में हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी और हाइकोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया है|
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दमोह कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से मांगा गया जवाब
याचिका की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमर नाथ केसरवानी की युगलपीठ(Couple bench of Chief Justice Justice Sheel Nagu and Justice Amar Nath Kesarwani) ने दमोह कलेक्टर तथा जिला पंचायत सीईओ को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है बताते चलें कि आज क्या करता है डॉक्टर विजय बजाज की तरफ से दायर की गई याचिका में यह कहा गया है कि दमोह जिले के अंतर्गत हटा पटेरा जगेरा सहित अन्य जनपद पंचायत में मनरेगा योजना के तहत कार्य हुए थे किसी भी एक परियोजना की तकनीकी स्वीकृति एक बार में नहीं दी गई खंड-खंड में तकनीकी स्वीकृति की योजना लेकर कार्य किए गए इतना ही नहीं कार्य में लगे सामान के अनाप-शनाप बिल भी पेश किए गए है|
शिकायत में भ्रष्टाचार की पुष्टि लेकिन कलेक्टर ने नहीं की कार्रवा
याचिका में यह भी बताया गया है कि शिकायत में लगाए गए आरोपों की पुष्टि जांच में हो चुकी है और यह जांच आयुक्त रोजगार गा रन्टी परियोजना के द्वारा की गई है जिसके बाद कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे जांच के बावजूद भी कलेक्टर के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिससे यहाँ परिलक्षित होता है कि कलेक्टर की लापरवाही इसमें साफ तौर पर दिखती है बताते चलें कि सुनवाई के बाद युगलपीठ ने नोटिस जारी करके जवाब मांगा है|
मनरेगा के तहत हर जिले और ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार
मनरेगा के तहत ना सिर्फ दमोह में ही बल्कि गांव के हर जिले और ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार हो रहा है सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक नियम बनाती है लेकिन भ्रष्टाचार उसका तोड़ निकाल लेते हैं और 10 तरीके से भ्रष्टाचार करते हैं लोगों के द्वारा अनाप शनाप बिल लगाकर पैसे निकाले जाते हैं जो मजदूर काम नहीं करता उनके खाते में पैसे डाले जाते हैं वैसे केंद्र सरकार के द्वारा मनरेगा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाइव tracking जैसी तमाम सुविधाएं शुरू की गई हैं जीससे की स्थिति कुछ सुधर रही है|