कटनी-वर्तमान समय में जहाँ लोग अपने माता-पिता की सेवा से दूर भागते हैं और उनका ख्याल रखने के नाम पर ही उन्हें पसीना आ जाता है वहीं मध्यप्रदेश के कटनी जिले के रहने वाले अभिषेक सोनी ने माँ और बेटे के बीच प्रेम की एक मिसाल कायम की है कोरोना काल में उन्होंने अपनी माँ को खो दिया था|
जिसके बाद वह अपनी माँ के वियोग में काफी परेशान रहने लगे थे यहाँ तक कि डिप्रेशन में भी चले गए थे लेकिन अब उन्होंने अपनी माँ की जीवंत सिलिकॉन की मूर्ति बनवाकरअपने पास रखी है और भगवान के समान अपनी माँ की रोज़ पूजा करते हैं और बेहद ख्याल रखते हैं बिना अपनी मन को भोजन का भोज लगाये वह भोजन भी नहीं करते हैं उन्हे जो भी करना होता है अपनी माँ को बतीयकर ही करते हैं|
कोविड के कारण हो गई थी माँ की मौत
अभिषेक सोनी के पिता सुरेश के द्वारा जानकारी मिली कि उनके तीन पुत्र हैं और एक बेटी भी है जिसमें से अभिषेक सबसे छोटे सुपुत्र हैं जिसके कारण उनकी माँ भी उनसे ज्यादा प्यार करती थी और उन्हें भी अपनी माँ से बेहद ज्यादा लगा था जो की आज भी कायम है और दिनों दिन बढ़ रहा है बताते चलें कि जब उनकी माँ की मृत्यु हो गई तब वह भयानक डिप्रेशन में चले गए उनकी माँ की मृत्यु 2 मई 2021 को हुई थी|
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एक वर्ष के कठोर परिश्रम के बाद तैयार हुई मूर्ति
कटनी के राहुल बाग स्थित निवासी अभिषेक सोनी के द्वारा बताया गया है कि जब उनकी माँ उन्हें छोड़कर चली गई तो वो काफी गुमसुम और परेशान रहने लगे थे उनका मन किसी भी काम में नहीं लगता था लेकिन सोशल मीडिया के जरिए उन्हें सिलिकॉन की मूर्ति बनाने वाले बेंगलुरु के श्रीधर के बारे में जानकारी मिली लेकिन मूर्ति बनवाना भी आसान नहीं था|
क्योंकि भारत में मात्र बैंगलुरु में ही इस तरह की खास मूर्ति बनाई जाती है मूर्ति कर श्रीधर के पास वह कई बार अपना निवेदन लेकर पहुंचे लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया लेकिन अभिषेक और उनकी माँ के बीच अटूट प्रेम को देखकर वह मूर्ति बनाने को तैयार हो गए उन्होंने अभिषेक से एक वर्ष का समय लिया और एक वर्ष के बाद काफी मशक्कत और परिश्रम से मूर्ति बनकर तैयार हुई और जब वो मूर्ति उन्हें मिली तो उसने ऐसा लगा की जैसे माँ बोल पड़ेगी मूर्ति इतनी जीवंत है कि ऐसा लग रहा है जैसे कि अभी मुँह से आवाज प्रस्फुटित हो सके सकेंगे|
मंदिर में रखकर करते हैं पूजा
अभिषेक सोनी की पत्नी मोनिका सोनी के द्वारा बताया गया कि जब सासु माँ की मूर्ति घर में पहली बार आई थी तब घर के लोगों को इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी सब लोग आश्चर्यचकित हो गए थेऔर किसी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे सासु माँ ही खड़ी हो और वो अभी बोल पड़ेंगी हम देवरानी और जेठानी मिलकर दो से ढाई माह में उनकी पूरी पोशाक बदल देते हैं और हमेशा भगवान के बगल में मंदिर में रखकर उनकी पूजा की जाती वे हमारे लिए भगवान जी ही हैं|