नई दिल्ली – उच्च न्यायालय नई दिल्ली के द्वारा हाल ही में एक आदेश पारित किया गया है जिसमें की एक दहेज एक्ट के मुख्य न्यायाधीश उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी भी घरेलू हिंसा का शिकार हो सकती है प्रभावित नहीं होना चाहिए न्यायालय के द्वारा एक व्यक्ति को उसकी पत्नी के प्रति क्रूरता से जुड़े मामले से में सत्र अदालत के फ़ैसले की रद्द करते हुये टिप्पणी की गई क्योंकि सत्र अदालत के द्वारा आरोपी व्यक्ति को बारी कर दिया गया था लेकिन माननीय हाई कोर्ट के द्वारा उसे फैसले को रद्द कर दिया गया।
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इस आधार पर रद्द हुआ था मुकदमा
सत्र न्यायालय ने यह देखते हुए मुकदमे को रद्द कर दिया था कि आरोपी पति और पत्नी दोनों ही पुलिस अधिकारी हैं धारा 34 के साथ धारा 498 A क्रूरता के तहत आरोप को खारिज कर दिया था|
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दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा
हालांकि उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने यह कहा कि अपराधी का आरोप तय करने के सवाल पर निर्णय लेते समय अदालत की राय को किसी लिंग या पेशे के बारे में किसी भी रूढ़िवादी धारणा के माध्यम से नहीं आता जा सकता है नहीं तो यह मानने जैसा होगा कि किसी विशेष पेशे में कोई व्यक्ति हमेशा उसी तरह व्यवहार करेगा जैसा जनता मानती है|
वहीं माननीय न्यायालय के समक्ष पेश मामले के अनुसार वैवाहिक क्रूरता मामले में मजिस्ट्रेट ने शुरू में आरोपी पुलिस अधिकारी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप तय किए थे हालांकि बाद में एक अदालत में मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और आरोपी को आरोप मुक्त कर दिया इस आदेश को महिला अधिकारी जो की शिकायत कर्ता हैं उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी उच्च न्यायालय ने अदालत के आदेश को रद्द करते हुए पुनः मुकदमा शुरू कर दिया।