मुंबई-अनुशासनहीनता करने और शराब पीकर न्यायिक अकादमी में पहुंचनेऔर मनमानी करने के कारण बर्खास्त जज को मुंबई हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार का राहत देने से इनकार कर दिया है दरअसल अनिरुद्ध पाठक को उनके अनुशासनहीनता के कारण बर्खास्त कर दिया गया था फिर उन्होंने बॉम्बे हाइकोर्ट का रुख किया लेकिन अब बेंच ने ये कहा है की किसी भी न्यायिक अधिकारी को ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए जिससे न्यायपालिका की छवि खराब होती हो इस तरह अदालत ने नौकरी से बर्खास्त किए गए जज अनिरुद्ध पाठक को किसी भी प्रकार से राहत देने से इनकार कर दिया है|
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छवि से विपरीत व्यवहार स्वीकार्य नहीं
हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि जजों न्यायिक अधिकारी को गरिमापूर्ण तरीके से व्यवहार करना चाहिए ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे न्यायपालिका की छवि पर गलत असर पड़ता हो वहीं अनिरुद्ध पाठक को जिन आरोपों से नौकरी से हटाया गया था उनमें टाइम का पालन न करना अक्सर मनमाने तरीके से छुट्टी ले लेना और जूडिशियल अकैडमी में शराब पीकर जाना शामिल था इससे पहले भी स्टाफ के कई लोगों ने उनकी शिकायत की थी कि अनिरुद्ध पाठक अक्सर शराब पीकर कोर्ट पहुंचते हैं इन आरोपों के चलते उन पर यह एक्शन हुआ था और उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था|
राहत की नहीं करनी चाहिए उम्मीद
बॉम्बे हाइकोर्ट ने यह कहा किअगर किसी जज का व्यवहार ऐसा है जिससे कि उसकी गरिमा पर सवाल उठ रहे हैं तो उसे राहत की उम्मीद किसी भी तरह से नहीं करनी चाहिए ऐसे मामले में हाइकोर्ट की ओर से मदद भी नहीं की जा सकती वर्ष 2010 में सिविल जज जूनियर डिवीज़न के पद पर तैनाती दी गई थी इसके कुछ समय बाद ही उनके खिलाफ़ शिकायतें आने लगी थी फिर महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले के मुख्य जज ने पाठक के खिलाफ़ रिपोर्ट दाखिल की थी जिसके बाद पाठक पर एक्शन लेते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और नौकरी से निकाल दिया गया था|
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