National News

What is charge frame in court in india-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत चार्ज फ्रेम करना क्या होता है 6 तरीकों से जानिये 

What is charge frame in court in india- कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की  बाद में जो अगली कार्रवाई होती है उसे चार्ज फ्रेम के नाम से जाना जाता है चार्ज फ्रेम एक ऐसा शब्द है जिसे लोग नहीं समझ पाते हैं और अधिवक्तागण उन्हें बताते भी नहीं है लेकिन यहाँ पर हम आपको चार्जशीट के बाद में जो चार्ज फ्रेम की प्रक्रिया और उसका अर्थ होता है विस्तार से  बताएंगे|

What is charge frame in court in india- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी की नए कानूनों के तहत भारत में आपराधिक मुकदमे का विचारण कैसे किया जाता है इस संबंध में हमारा ये ब्लॉग आपके सामने प्रस्तुत है जिसमें कि अब हम आपको बताने जा रहे हैं की अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के बाद जब आरोपी के खिलाफ़ पर्याप्त सबूत हो जाते हैं तब चार्ज फ्रेम होता है तो इसका मतलब क्या होता है देखिये अदालत के पास तो इस बात की शक्ति होती है कि सबूत नहीं होने पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया जाए लेकिन बहुत ही दुर्लभ देखा गया है कि अदालत अपनी शक्तिओं को उपयोग में लाती हैं|

Court Takes Cognizance of the Chargesheet
Summons or Warrants Issued to the Accused

What happens after the chargesheet is filed -पुलिस के द्वारा चालान पेश करने के बाद कैसे होता है ट्रायल जानिये 7 चरण

What is charge frame in court in india-चार्जशीट का मतलब क्या होता है

चार्जशीट की कागजी कार्रवाई संपूर्ण होने के बाद आरोपी के अधिवक्ता को दस्तावेज प्राप्त होने के उपरांत चार्ज पर बहस करने के लिये  एक पेशी नियत की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य होता है की आरोपी पर धाराओं को रिकॉर्ड पर लेना क्योंकि पुलिस के द्वारा जो चार्जशीट दी गई होती है वह महज एक आरोप होता है पुलिस के द्वारा दिये  गये  तथ्यों को कोर्ट तुरंत ही रिकॉर्ड पर नहीं लेती जब रिकॉर्ड पर लेती है तो इस प्रक्रिया को चार्ज फ्रेम करना कहा जाता है|

Framing of Charges by the Court
Transfer of Serious Cases to Sessions Court

What is charge sheet in court-जानिये क्या होती है चार्ज शिट? जो कोर्ट में तय  करती है आरोपी की तकदीर 

What is charge frame in court in india-धाराओं का निर्धारण

कोर्ट के द्वारा चार्जशीट का अध्ययन करते हुए चार्जफ्रेम करते समय धाराओं का निर्धारण भी किया जाता है किस धारा के तहत आरोपी के ऊपर मुकदमा चलाना चाहिए जो धारा पुलिस ने लगाई है वो धारा आरोपी के विरुद्ध बनती है या नहीं अगर कोर्ट चाहे तो धाराओं को कम या अधिक भी कर सकती है यानी की चाहे तो कुछ धाराएं जोड़ भी सकती है और कुछ धाराओं को घटा भी सकती है इस पूरी प्रक्रिया को चार्ज फ्रेम करना कहा जाता है|

Prosecution Presents Evidence and Witnesses
Defense’s Opportunity to Present Evidence

How do the police invetigate crime – पुलिस FIR की जांच कैसे करती है?सबूत नहीं मिलने पर कैसे रद्द होता है मुकदमा

What is charge frame in court in india-अधिवक्ताओं की होती है बहस

चार्जशीट दाखिल होने के बाद चार्ज फ्रेम करते समय दोनों अधिवक्ताओं की बहस होती है दोनों अधिवक्ताओं का आशय  यहाँ पर एक ओर सरकारी वकील और दूसरा और आपके निजी अधिवक्ता से है वह  चार्ज पर बहस करते हैं और यह बताते हैं कि जो चार्ज पुलिस के द्वारा यानी कि जो आरोप पुलिस के द्वारा लगाए गए हैं वह संबंधित आरोपी पर नहीं बनते हैं सरकारी वकील भी अपने तरफ से दलील देते हैं की ऐसे क्या तथ्य हैं  जो कि यह दर्शाते हैं कि जो आरोप पुलिस के द्वारा लगाए गए हैं वह संबंधित आरोपी के विरुद्ध बनते हैं दोनों अधिवक्ताओं की बहस को ध्यान में रखते हुए मुकदमे की दिशा तय  करते हैं|

Delivery of Judgment by the Court
Sentencing in Case of Conviction

What is charge frame in court in india-धाराओं को हटाने की शक्ति 

 न्यायालय के पास इस बात की भी संपूर्ण शक्ति होती है कि जो धाराएं आरोपी के विरुद्ध लगाई गई है वह अगर सही नहीं है तो उसे वह हटा भी सकती है या सकती भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 239 और 244 के तहत न्यायालय को प्राप्त होती है अगर अदालत को यह लगता है कि जो धाराएं हैं उनसे ज्यादा भी धाराएं लगनी चाहिए तो वह अन्य धाराओं को भी लगा सकती है और चार्ज फ्रेम कर सकती है|

Importance of Judicial Process Post-Chargesheet Filing

Role of the Investigating Officer in Court Proceedings

What is charge frame in court in india-अपराध का कबूलनामा

 चार्ज फ्रेम होने के बाद अदालत आरोपी से पूछती है कि क्या उसे अपना गुनाह स्वीकार है यानी कि आरोपी को अपना गुनाह कबूल है अगर आरोपी अपना गुनाह कबूल कर लेता है तो उसे उसी वक्त अगली पेशी पर सजा सुना दी जाती है लेकिन अगर आरोपी अपना गुनाह कबूल नहीं करता है तो फिर आपराधिक मुकदमे का विचारण शुरू होता है ऐसा बहुत कम ही देखने को मिला है कि जब आरोपी के द्वारा अपने गुनाह को स्वीकार कर लिया गया हो लेकिन यह विधि में एक प्रक्रिया है|

Handling Multiple Accused in a Single Chargesheet
Admissibility of Confessional Statements in Court
Dealing with Contradictory Witness Statements

What is charge frame in court in india-ट्रायल प्रक्रिया में लंबी पेशी

 ट्रायल प्रक्रिया में जो लंबी पेशी होती है जिससे काफी लोग परेशान होते हैं तो इसे आप बहुत जल्दी भी करवा सकते हैं संबंधित अधिवक्तागण से मिलकरके जो की अच्छे हो उनसे आप अपनी पेशी के बीच का जो अंतर है उसे कम करवा सकते हैं और इससे आपको फायदा यह होगा कि मामले का विचारण जल्दी खत्म हो जाएगा और आप उस केस से भी मुक्त हो जाएंगे|

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Index