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What happens after the chargesheet is filed -पुलिस के द्वारा चालान पेश करने के बाद कैसे होता है ट्रायल जानिये 7 चरण

What happens after the chargesheet is filed- पुलिस के द्वारा अपराध की जांच करने के उपरांत चार्जशीट कोर्ट में दायर करने के बाद उस मुकदमे का ट्रायल शुरू होता है जिससे कि हिंदी में विचारण भी कहते हैं या विचारण कैसे होता है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है इस विषय में इस ब्लॉग में आपको जानकारी मिलेगी|

What happens after the chargesheet is filed – किसी भी अपराध के अनुसंधान के उपरांत जब पुलिस जांच की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी कर लेती है तब अंतिम रिपोर्ट माननीय न्यायालय में पेश करती है और उस अंतिम रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय में आरोपी के विरुद्ध और पीड़ित के पक्ष में विचारण शुरू होता है यहाँ पर आपको यह जानना काफी लाभदायक होगा कि कोर्ट किसी के पक्ष में नहीं रहती है|कोर्ट निष्पक्ष रहती है वहाँ पर पीड़ित को भी जो शिकायत है उसे साबित करना पड़ता है और अपराधी जिसे आरोपी कहा जाता है उसे भी अपने आप को निर्दोष साबित करने का पर्याप्त मौका दिया जाता है तो यहाँ आपको हम बताएंगे कि कैसे माननीय के द्वारा किसी भी मुकदमे का विचारण किया जाता है|

Court process after charge sheet submission
Steps after charge sheet acceptance in court

What is charge sheet in court-जानिये क्या होती है चार्ज शिट? जो कोर्ट में तय  करती है आरोपी की तकदीर 

What happens after the chargesheet is filed -आरोपपत्र के गंभीरता की जांच

कोर्ट में चार्जशीट पेश होने के बाद अगर आरोपी जेल में हैं और मामला जमानती है तो उसे जमानत लगभग मिल जाती है कुछ दुर्लभ केस होते हैं जिसमें जमानत नहीं मिलती है फिर उसके बाद संबंधित न्यायाधीश इस बात की पूरी तरीके से तस्दीक करते हैं कि क्या जो चार्जशीट हमारे पास आयी है उस चार्जशीट को आगे चलाने के पर्याप्त आधार उपलब्ध है अथवा नहीं क्योंकि पूलीस जिस दृष्टिकोण से किसी भी अपराध को देखती है उस दृष्टिकोण से काफी व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर माननीय न्यायालय के द्वारा मामले का विचारण होता है|

Framing of Charges by the Court
Transfer of Serious Cases to Sessions Court

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What happens after the chargesheet is filed -आधारहीन आरोप होने की स्थिति में

ध्यान दीजिये की चार्जशीट में जो भी बातें पुलिस के द्वारा लिखी गई होती है वह महज एक आरोप होती है सिद्ध बात नहीं होती है जब मजिस्ट्रेट यह देखते हैं कि चार्जशीट में किसी भी आरोपी के खिलाफ़ मुकदमे को आगे चलाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है और पर्याप्त साक्ष्य नहीं उपलब्ध हो पा रहे है| आरोपी के विरुद्ध चार्ज लगाने की बजाय मजिस्ट्रेट आरोपी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 262 के तहत और सेशन कोर्ट के द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 250 के तहत  और परिवाद में मजिस्ट्रेट के द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 268 के तहत आरोपी को दोषमुक्त यानी की उन्मोचित कर दिया जाता है और उसे बरी कर दिया जाता है|

Beginning of Trial Process
Defense’s Opportunity to Present Evidence

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What happens after the chargesheet is filed -पर्याप्त सबूत साक्ष्य व आधार होने पर

अगर संबंधित मजिस्ट्रेट को ये लगता है कि आरोपी के खिलाफ़ पर्याप्त साक्ष्य एवं आधार है और मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत भी है तब ट्रायल या मामले का विचारण शुरू किया  जाता है जिसकी सबसे पहले प्रक्रिया यह होती है कि आरोपी को या उसके अधिवक्ता को चार्जशीट की कॉपी दी जाती है जो कि मुफ्त होती है अगर चार्जशीट में किसी भी प्रकार की कोई कमी है तो चार्जशीट से संबंधित कमी को संबंधित अधिवक्ता ऑर्डर शीट पर उल्लेखित करवा सकते हैं|

Delivery of Judgment by the Court
Sentencing in Case of Conviction

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What happens after the chargesheet is filed-चार्जशीट में कमी होने की स्थिति में

अगर चार्जशीट में किसी भी प्रकार की कोई कमी होती है तो संबंधित अधिवक्ता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 230 के तहत कोर्ट के सामने आवेदन कर सकते हैं तथा जो  दस्तावेज़ चार्जशीट में नहीं दिए गए हैं उन्हें भी प्राप्त करने हेतु दरख्वास्त कर सकते हैं ईसी धारा के अंतर्गत चार्जशीट की कमियों को बताकर वह ऑर्डर शीट पर भी उसे लिखित  करवातें हैं जिससे कि आने वाले समय में बहस के रूप में रिकॉर्ड पर लिया जा सके|

Filing Additional Evidence During Appeals
Importance of Judicial Process Post-Chargesheet Filing

What happens after the chargesheet is filed-ऑर्डर शीट क्या होती है

ऑर्डर शीट कोर्ट का वह दस्तावेज होता है जिसमे की विचारण की संपूर्ण प्रक्रिया लिखी जाती है पेशी के दिन जब आरोपी कोर्ट में आया तब क्या कार्रवाई की गई और विभिन्न प्रकार की जो भी चीजें होती है वह ऑर्डर शीट पर लिखी जाती है और अंतिम में फैसला सुनाते वक्त संबंधित मजिस्ट्रेट से ऑर्डर शीट का अवलोकन भी करते हैं |

Examination of Chargesheet by the Magistrate
Providing Copies of Chargesheet to the Accused

How to gate bail in india-BNSS के तहत  क्रिमिनल केस में मजिस्ट्रेट कोर्ट से आरोपी को जमानत कैसे मिलती है

What happens after the chargesheet is filed-उन्मोचन या डिस्चार्ज की शक्तियां का इस्तेमाल

उपरोक्त पैराग्राफ में आप जो ट्रायल कोर्ट की डिस्चार्ज या अपराध से किसी व्यक्ति को बरी करने की शक्ति को देखते है उसका इस्तेमाल काफी कम होता है इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार टिप्पणी की है और आरोपी को डिस्चार्ज करने के कई मापदंड भी तय किए हैं इसमें या भी उल्लेखित किया गया है कि ट्रायल कोर्ट को पुलिस या माउथ पीस बनकर या एक पोस्ट ऑफिस की तरह काम नहीं करना चाहिए अगर आरोपी के खिलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं होते हैं तो उन्हें बरी कर देना चाहिए जिससे की कोर्ट का समय बच सके|

Options Available for the Accused After Charges Framed
Filing Applications During Pre-Trial Proceedings

What happens after the chargesheet is filed-अधिवक्ता रखते समय ध्यान देने योग्य बातें

अगर किसी मामले के विचारण हेतु आप अधिवक्ता रखते हैं तो आप के द्वारा जब ध्यान देने वाली बातें है वह यह होनी चाहिए कि वह अधिवक्ता काफी अनुभवी और विद्वान हो क्योंकि तमाम लोग ऐसे अधिवक्ताओं को अधिकृत कर लेते हैं जो कि सामने वाले पार्टी से मिल जाते हैं फिर उनके केस को मिट्टी पलीद कर देते हैं|ऐसी ही स्थिति में आप अगर निर्दोष हैं तो भी आपको सजा हो जाती है इसलिए आपको यह चाहिए कि आप बेहतरीन अधिवक्ता हायर करें|

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

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