How to gate bail in india-भारत में क्रिमिनल केस का विचारण या ट्रायल कैसे किया जाता है इस सिलसिले में यह तीसरा ब्लॉग है जिसमें हम आपको बताएंगे कि किसी भी व्यक्ति के ऊपर अगर कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज हो जाता है तो उस मुकदमे में आरोपी को मजिस्ट्रेट कोर्ट से जमानत कैसे मिलती है|
How to gate bail in india–कैसे मिलती है जमानत
जमानत के लिए क्या-क्या शर्तें संबंधित आरोपी पर अधिरोपित की जाती हैं यह जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि शायद ये ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसका सामना कोर्ट और कचहरी से ना हुआ हो तो अगर आपके पास जानकारी रहेंगी तो आप ना घबराएंगे ना परेशान होंगे क्योंकि आजकल लोग जागरूक नहीं होने के कारण पुलिस और कोर्ट का नाम सुनते ही पसीने से भीग जाते हैं तो चलिए शुरू करते हैं|
How to gate bail in india-गिरफ्तार न होने की दशा में
अगर संबंधित आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है और वह आरोपी फरार घोषित कर दिया गया है तो ऐसी स्थिति में वह आरोपी अपनी अधिवक्ता के माध्यम से सक्षम न्यायालय में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है इसमें वे सभी तथ्य उल्लेखित किए जाएंगे जिसमें यह बताया जाएगा कि इस मामले में आरोपी या संबंधित व्यक्ति का उतना दोष नहीं है जितना दोष पुलिस के द्वारा बताया गया है आरोपी के पक्ष के वकील या अधिवक्ता की बहस करने के बाद संबंधित सरकार के वकील भी अपना पक्ष रखते हैं दोनों को बेहतरीन तरीके से सुनने के बाद कोर्ट ये तय करता है कि आरोपी को अग्रिम जमानत देनी है अथवा नहीं|
How to gate bail in india-चार्जशीट पेश हो जाने की दशा में
अगर किसी आरोपी के खिलाफ़ पुलिस ने जांच करके चार्जशीट पेश कर दिया है तो भारतीय नागरिक सुरक्षा संगीता कि धारा 483 के तहत आवेदनपत्र आरोपी के अधिवक्ता के द्वारा सक्षम न्यायालय में दाखिल किए जाते हैं इसमें यह भी हो सकता है कि आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुका हो या फिर आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया हो यहाँ से आरोपी को दी गई जमानत और अस्थायी प्रकृति की होती है तथा यह भी शर्त अधिरोपित किया जाता है कि समय समय पर आरोपी पेशी के लिए उपस्थित होता रहे|
How to gate bail in india-चार्जशीट पेश करने का समय
पुलिस के ऊपर चार्जशीट पेश करने की समय अवधि की पूरी तरीके से बाध्यता होती है सामान्य मामलों में 90 दिन के अंदर और अगर कोई गंभीर मामला है तो 90 से 120 दिन के भीतर पुलिस को चार्जशीट पेश करना होता है अगर इतने समय में पुलिस चार्जशीट पेश नहीं करती है तो आरोपी को डिफ़ॉल्ट बेल मिलने का अधिकार प्राप्त हो जाता है लेकिन यह शर्त तभी लागू होती है जब आरोपी जेल में बंद हो अगर आरोपी बाहर है तब आरोपी को डिफ़ॉल्ट बेल्ट नहीं मिलती है|
How to gate bail in india-स्थायी जमानत के लिए प्रावधान
स्थायी जमानत के लिए संबंधित आरोपी को सेशन कोर्ट का रुख करना होता है भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 483 के तहत रेगुलर बेल के लिए आरोपी सेशन कोर्ट के समक्ष दरख्वास्त करता है कि उसे अस्थाई जमानत दी जाए और वह यह भी इस शर्त स्वीकार करता है कि माननीय न्यायालय के द्वारा जो भी शर्त उसके ऊपर अधिरोपित की जाएगी उसका वह अक्षरशः पालन करेगा तथा नहीं पालन करने की स्थिति में उसकी जमानत को भी रद्द कर दिया जाएगा दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट के तय करते हैं कि आरोपी को जमानत देनी है या उसे जेल भेजना है|
ज़मानत मिलने के बाद अभियोजन पक्ष के पास विकल्प
ज़मानत मिलने के बाद अभियोजन पक्ष के पास विकल्प मौजूद होता है कि वह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 483 (3) के तहत संबंधित कोर्ट में बेल कैंसलेशन यानी की जमानत रद्द करने का एक आवेदन पत्र पेश कर सकता है उसके आवेदन पत्र पर प्रस्तुत किये गए आधारों को देखते हुए तथा उन्हें समझने के बाद माननीय न्यायालय संबंधित आरोपी को दी गई जमानत को रद्द भी कर सकती है|
How to gate bail in india-रद्द भी हो सकती है जमानत
अगर अभियोजन पक्ष यह कहता है कि संबंधित आरोपी के द्वारा जमानत मिलने के बाद गवाहों तथा सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है और अभियोजन पक्ष को लगातार धमकी दे रहा है तो निश्चित तौर पर आरोपी की जमानत खारिज हो जाती है और उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाता है|
How to gate bail in india-पेशी पर जाने की बाध्यता
आरोपी को जमानत मिल जाने के बाद उसके ऊपर कुछ बाध्यताएं भी होती हैं जैसे नियमित पेशी पर आना कुछ मामलों में माननीय न्यायालय आरोपी को पेशी से छूट भी दे सकती है लेकिन यह सब कुछ निर्भर करता है उसके अधिवक्ता पर कि वह किस तरीके के तथ्य माननीय न्यायालय के समक्ष रखते हैं अगर आरोपी लगातार पेशी से अनुपस्थित हो रहा है तो उसके खिलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी हो जाता है|
How to gate bail in india–अगर गिरफ्तारी वारंट जारी होने जाये तब
अगर गिरफ्तारी वारंट सेशन कोर्ट जारी करती है तो संबंधित आरोपी को फिर जमानत के लिये माननीय उच्च न्यायालय जो कि संबंधित राज्य का उच्च न्यायालय होगा वहाँ रुख करना पड़ सकता है अगर उच्च न्यायालय ने जमानत खारिज कर दिया तो आरोपी को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ जाता है और पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार भी कर सकती है इसलिए अगर आपके ऊपर कोई आपराधिक प्रकरण चल रहा है तो आप पेशी पर जरूर जाएं|
How to gate bail in india–जमानत बॉन्ड क्या होता है
जमानत बॉन्ड जैसे की कोर्ट में मुचलका के नाम से भी जाना जाता है एक ऐसी शर्त होती है कि अगर आरोपी पेशी पर नहीं आता है और वह लगातार पेशी से अनुपस्थित रहता है तो एक निश्चित राशि जीतने का मुचलका बनाया गया है उतनी ही राशि संबंधित आरोपी को जमा करनी होगी और वो भी माननीय न्यायालय में जब तक आरोपी लगातार पेशी पर आ रहा है और न्यायालय के द्वारा अधिरोपित की गई किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं कर रहा है तब तक उसे इस तरीके का बॉन्ड नहीं भरना पड़ेगा लेकिन जहाँ वह इस तरीके की गलती करता है तो उसे उतनी राशि माननीय न्यायालय को सुपुर्द करनी होगी|
How to gate bail in india–अभियोजन पक्ष को धमकी देने के स्थिति
अगर आरोपी के द्वारा गवाहों और अभियोजन पक्ष को धमकी दी जा रही है या फिर सबूतों के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ किया जा रहा है चाहे धमकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो तो आरोपी की जमानत को माननीय न्यायालय के द्वारा रद्द कर दिया जाता है इसलिए जब भी आपको न्यायालय से जमानत मिले तो आप यह सावधानी जरूर बरतें कि पीड़ित है उससे जुड़े किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की धमकी ना दें अगर उनसे आपको किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है तो बकायदा अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में अपना पक्ष रखें बाहर अगर आप हिसाब-किताब करेंगे तो फिर समस्या उत्पन्न हो जाएगी|