नई दिल्ली – यूनिफाइड पेमेंट सिस्टम ने भारत में पैसों के ट्रांसफर को लेकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है एक दौर ऐसा हुआ करता था जहाँ बड़े ट्रांजेक्शन के लिए कई दिनों तक बैंक के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन आज यह चुटकियों का काम है लेकिन एक्स्पर्ट मानते हैं कि यूपीआई के कारण लोगों ने फिजूलखर्ची भी शुरू कर दी है क्योंकि यह चंद मिनटों में होने वाला काम है और ऐसे में लोग पैसा बचाने के बजाय खर्च ज्यादा कर रहे हैं आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट इस बारे में क्या कहते हैं?
Upi से क्यों बढ़ी फिजूलखर्ची?
यूपीआई के माध्यम से बड़े से बड़े पेमेंट को करने में आसानी हुई है और लोगों को लेन देन भी काफी सहूलियत हुई है परंतु समाचार एजेंसी आईएएनएस के विशेषज्ञों के हवाले से यह बताया गया है कि यूपीआई के कारण लोगों ने जमकर पैसे खर्च करना भी शुरू किया है जिसके कारण उन्हें की काफी बुरी वाली लत लग गई ऐसे में वह जो भी सामान खरीद रहे हैं तुरंत पेमेंट कर रहे हैं और वो ऐसे भी सामग्री खरीद रहे हैं जिसकी उन्हें कभी आवश्यकता भी नहीं होती लेकिन वो उसे शौक के लिये खरीदते हैं अगर वे उसी पैसे को बचाए तो उनके बचत में वृद्धि होगी|
Upi से खर्च बढ़ने का दूसरा कारण
UPI में qr कोड के माध्यम से खरीददारी करने का जो सबसे मुख्य वजह है वह यह है की भारत की एक बड़ी आबादी के पास आज स्मार्टफोन और डेटा की बेहतरीन पहुँच है जिसके कारण उन्हें देश के किसी कोने में बैठकर यूपीआई के जरिए पेमेंट करने में आसानी होती है और वह यह काम चुटकियों में कर लेते हैं जिसके कारण यह फिजूलखर्ची भी बढ़ रही है|पहले ऐसा नहीं होता था पहले लोगों को अगर कितनी भी आवश्यकता हो तो ऐसा करने के लिए कई दिनों तक बैंक के चक्कर काटने पड़ते थे सोर्ससिफ़ारिश लगानी पड़ती थी|
IIT दिल्ली की हालिया सर्वे रिपोर्ट
IIT दिल्ली के द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे में यह पता चला है कि यूपीआई और दूसरे डिजिटल माध्यम के कारण करीब 74 फीसदी लोग जरूरत से ज्यादा खर्च कर रहे हैं गौरतलब है कि नगद पैसों की तुलना में डिजिटल मोड से पेमेंट करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है नकदी में कभी चेंज या फिर कभी करेंसी की समस्या भी हो जाती है लेकिन ऑनलाइन ऐसा नहीं होता है आपके पास अगर पैसे नहीं है तो भी आप आज क्रेडिट कार्ड से भी शॉपिंग कर सकते हैं|
लोन लेकर भी कर रहे हैं खर्च
और काफी ज्यादा ऐसा होता है जब लोगों के पास पैसा नहीं है तो वह क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करते है फिर उसके बाद में वह महंगे ब्याज से उसी पैसे को वापस लौटाते हैं लोगों में उनकी हैसियत से ज्यादा खर्च करने और शॉपिंग करने की आदत को विकसित कर रहा है जिससे कि आज लोग पैसे नहीं बचा पाते भले ही आज के युवा 18,000 या 20,000 या ₹12,000 की सैलरी पाते हों लेकिन वो महीने में क्रेडिट कार्ड या दूसरे माध्यमों से लोन लेकर खर्चा भी से ₹25,000 करते हैं अब आप ज़रा विचार कीजिए की ₹12,000 ₹18,000 सैलरी पाने वाला व्यक्ति अगर महीने में अपनी हैसियत से ज्यादा ₹30,000 खर्च करेगा तो वो क्या बचत करेगा उसकी आंधी जिंदगी तो कर्ज चुकाते-चुकाते ही खत्म हो जाए|