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What is a judgment in court-अदालत में गवाही के बाद क्या होता है?आपराधिक मुकदमें के विचारण के अंतिम 5 चरण 

What is a judgment in court- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत आपराधिक मुकदमे का विचारण न्यायालय में कैसे किया जाता है इस विषय में हमारा यह अंतिम ब्लॉग है जिसमें कि आपको जजमेंट की पूरी प्रक्रिया को करीब से जानने का मौका मिलेगा और आप समझेंगे कि कैसे कोर्ट किसी भी मामले में अपना फैसला सुनाती है और उस फैसले का आरोपी के जीवन पर क्या असर पड़ता है?

What is a judgment in court- अभियोजन पक्ष और आरोपी पक्ष की गवाही करवाने के उपरांत किस में अंतिम बहस होती है और उस अंतिम बहस के पश्चात केस में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 392 और 393 के तहत कोर्ट के द्वारा निर्णय सुनाया जाता है इस निर्णय से किसी आरोपी के जीवन पर इतना प्रभाव पड़ता है कि उसके जीवन की दशा और दिशा तय होती है वह जेल जायेगा या फिर दोषमुक्त होगा इस निर्णय में सब कुछ लिखा जाता है लेकिन इसकी इबारत बहुत पहले लिखी जा चुकी होती है गवाही और चार्ज फ्रेम के दौरान जजमेंट एक अंतिम प्रक्रिया होती है तो आइए आपको इसके विषय में बताते हैं|

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Understanding the concept of a judgment in court
How does a court judgment impact a legal case

What is a judgment in court-फैसला सुरक्षित रखना

 अंतिम बहस के उपरांत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 392 और 393 के तहत कोर्ट के द्वारा निर्णय सुनाया जाता है इससे पहले कोर्ट फैसला सुरक्षित रख लेती है और ये जो समय होता है वह फैसला लिखने का समय होता है दोषी को सजा सुनाने के लिये  एक तारीख निश्चित की जाती है इसी दिन उसे फांसी,आजीवन कारावास ,सश्रम कारावास, कारावास, जुर्माना या फिर अब नये  कानून में जो प्रावधान है सामुदायिक सेवा या फिर सिर्फ कोर्ट में सारा दिन खड़े रहने तथा किसी अन्य प्रकार के काम करने की सजा सुनाई जाती है|

Key components of a court judgment explained
Difference between judgment and order in court

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What is a judgment in court-मृत्युदंड की सजा सुनाने की स्थिति में

 जब किसी आरोपी को न्यायालय के द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है तब सेशन कोर्ट के द्वारा सजा सुनाने से पहले फैसले की कॉपी को उच्च न्यायालय में सत्यापन के लिए भेजा जाता है भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता  की धारा 407 के तहत यह प्रक्रिया अमल में लाई जाती है हाइकोर्ट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 409 के तहत या तो उस मृत्युदंड की पुष्टि कर देती है या फिर मृत्यु दंड की सजा को दूसरी सजा में परिवर्तित कर देती है जैसे कि आजीवन कारावास और यह कार्रवाई त्वरित रूप से की जाती है उच्च न्यायालय बिना देरी के मृत्युदंड की पुष्टि या रद्द करने  के आदेश की कॉपी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 412 के तहत सेशन कोर्ट को वापस भेज देती है|

Steps involved in writing a judgment in court
Role of judges in delivering judgments in court

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What is a judgment in court-सजा की पुष्टि हो जाने पर

 हाइकोर्ट के द्वारा ट्रायल कोर्ट के मृत्युदंड की सजा की पुष्टि करने के उपरांत जब फैसले की कॉपी को ट्रायल कोर्ट को पुनः भेज दिया जाता है तब ट्रायल कोर्ट के द्वारा आरोपी को फांसी की सजा सुना दी जाती है इसके बाद दोषी व्यक्ति के पास यह विकल्प होता है कि वह हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर सकता है कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जाये  और अगर नहीं दी जाये  तो क्या कारण है सभी आधार के साथ हाईकोर्ट में यह अपील दाखिल की जाती है वह मुकदमे में अपने मजबूत पक्ष अपनी सामाजिक पारिवारिक और आर्थिक स्थिति का भी हवाला दे सकता है|

How to appeal against a judgment in court
Legal binding nature of a court judgment

What is a judgment in court-ट्रायल कोर्ट के द्वारा की गई गलतियों का उल्लेख

 आपराधिक मुकदमे के विचारण में ट्रायल कोर्ट के द्वारा जो भी गलती की जाती है उस गलती को हाई कोर्ट के समक्ष व्यापक पैमाने पर और पूरे विश्लेषण के साथ रखा जाता है लेकिन अगर विस्तृत तरीके से सुनवाई के उपरांत भी हाईकोर्ट आरोपी के मृत्युदंड की सजा को अपील में पुष्टि कर देती है या उसे राहत नहीं देती है तो इस निर्णय की अपील करने के लिए आरोपी के पास यह विकल्प होता है कि वह सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है|

What are the grounds for challenging a judgment in court

What is a summary judgment in court and how it works

What is a judgment in court-अपील लंबित रहने के दौरान जमानत

 उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील पेंडिंग रहने के दौरान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 430 के तहत आरोपी अपीलीय कोर्ट में जमानत पर रिहा होने के लिये  भी आवेदन कर सकता है अब यह न्यायालय के ऊपर पूरी तरीके से निर्भर करता है कि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना है या नहीं अपीलीय न्यायालय हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी हो सकता है यदि फांसी की सजा दी गयी है तो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 455 के तहत अपील का निर्णय आने तक आरोपी की फांसी रोक दी जाती है|

Judgment writing: Essential skills for judges in court
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What is a judgment in court-सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्णय खारिज न होने की स्थिति में

 अब आरोपी के द्वारा जब  सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाती है तो ये निश्चित नहीं होता कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्णय को खारिज ही कर दिया जाये सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरोपी की अपील को भी खारिज कर दिया जाता है तब ऐसी स्थिति में जब सुप्रीम कोर्ट मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखता है तो ट्रायल कोर्ट उसे मृत्युदंड की सजा को सत्यापित कर देता है और नियत तिथि पर उसे मृत्युदंड दे दी जाती है अगर आरोपी की सजा उम्रकैद या इससे कम की होती है तो फिर ट्रायल कोर्ट को हाइकोर्ट से कन्फर्मेशन लेने की आवश्यकता नहीं होती है|

What is a judgment in court-सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील खारिज किये जाने की स्थिति में

 जब सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भी आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा बरकरार रखा जाता  है तब दोषी व्यक्ति के पास यह  विकल्प होता है कि वह संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत अपने राज्य के राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका लगा सकता है और अगर राज्यपाल तथा राष्ट्रपति चाहिए तो उसकी फांसी की सजा को रद्द कर सकते हैं उनके पास इस मामले में असीमित क्षेत्र अधिकार होता है वह जिसकी भी फांसी की सजा रद्द करना चाहें उसे रद्द कर सकते हैं|

What is a judgment in court-राज्यपाल के मृत्यु दंड के सजा को रद्द करने की शक्ति

 पहले ऐसा नहीं हुआ करता था राज्यपाल को फांसी की सजा माफ़ करने का अधिकार नहीं था तब केवल राष्ट्रपति ही फांसी की सजा या दया याचिका पर विचार करने के लिए समर्थ थे परंतु सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्टेट ऑफ हरियाणा वर्सिस राजकुमार बिट्टू  3 अगस्त 2021 के ऐतिहासिक निर्णय में राज्यपाल को भी यह शक्ति प्रदान हो गई है अब राज्यपाल भी फांसी की सजा को माफ़ कर सकते हैं और चाहे तो उसे आजीवन कारावास में बदल सकते हैं|

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

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