What is charge frame in court in india- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी की नए कानूनों के तहत भारत में आपराधिक मुकदमे का विचारण कैसे किया जाता है इस संबंध में हमारा ये ब्लॉग आपके सामने प्रस्तुत है जिसमें कि अब हम आपको बताने जा रहे हैं की अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के बाद जब आरोपी के खिलाफ़ पर्याप्त सबूत हो जाते हैं तब चार्ज फ्रेम होता है तो इसका मतलब क्या होता है देखिये अदालत के पास तो इस बात की शक्ति होती है कि सबूत नहीं होने पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया जाए लेकिन बहुत ही दुर्लभ देखा गया है कि अदालत अपनी शक्तिओं को उपयोग में लाती हैं|
What is charge frame in court in india-चार्जशीट का मतलब क्या होता है
चार्जशीट की कागजी कार्रवाई संपूर्ण होने के बाद आरोपी के अधिवक्ता को दस्तावेज प्राप्त होने के उपरांत चार्ज पर बहस करने के लिये एक पेशी नियत की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य होता है की आरोपी पर धाराओं को रिकॉर्ड पर लेना क्योंकि पुलिस के द्वारा जो चार्जशीट दी गई होती है वह महज एक आरोप होता है पुलिस के द्वारा दिये गये तथ्यों को कोर्ट तुरंत ही रिकॉर्ड पर नहीं लेती जब रिकॉर्ड पर लेती है तो इस प्रक्रिया को चार्ज फ्रेम करना कहा जाता है|
What is charge sheet in court-जानिये क्या होती है चार्ज शिट? जो कोर्ट में तय करती है आरोपी की तकदीर
What is charge frame in court in india-धाराओं का निर्धारण
कोर्ट के द्वारा चार्जशीट का अध्ययन करते हुए चार्जफ्रेम करते समय धाराओं का निर्धारण भी किया जाता है किस धारा के तहत आरोपी के ऊपर मुकदमा चलाना चाहिए जो धारा पुलिस ने लगाई है वो धारा आरोपी के विरुद्ध बनती है या नहीं अगर कोर्ट चाहे तो धाराओं को कम या अधिक भी कर सकती है यानी की चाहे तो कुछ धाराएं जोड़ भी सकती है और कुछ धाराओं को घटा भी सकती है इस पूरी प्रक्रिया को चार्ज फ्रेम करना कहा जाता है|
What is charge frame in court in india-अधिवक्ताओं की होती है बहस
चार्जशीट दाखिल होने के बाद चार्ज फ्रेम करते समय दोनों अधिवक्ताओं की बहस होती है दोनों अधिवक्ताओं का आशय यहाँ पर एक ओर सरकारी वकील और दूसरा और आपके निजी अधिवक्ता से है वह चार्ज पर बहस करते हैं और यह बताते हैं कि जो चार्ज पुलिस के द्वारा यानी कि जो आरोप पुलिस के द्वारा लगाए गए हैं वह संबंधित आरोपी पर नहीं बनते हैं सरकारी वकील भी अपने तरफ से दलील देते हैं की ऐसे क्या तथ्य हैं जो कि यह दर्शाते हैं कि जो आरोप पुलिस के द्वारा लगाए गए हैं वह संबंधित आरोपी के विरुद्ध बनते हैं दोनों अधिवक्ताओं की बहस को ध्यान में रखते हुए मुकदमे की दिशा तय करते हैं|
What is charge frame in court in india-धाराओं को हटाने की शक्ति
न्यायालय के पास इस बात की भी संपूर्ण शक्ति होती है कि जो धाराएं आरोपी के विरुद्ध लगाई गई है वह अगर सही नहीं है तो उसे वह हटा भी सकती है या सकती भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 239 और 244 के तहत न्यायालय को प्राप्त होती है अगर अदालत को यह लगता है कि जो धाराएं हैं उनसे ज्यादा भी धाराएं लगनी चाहिए तो वह अन्य धाराओं को भी लगा सकती है और चार्ज फ्रेम कर सकती है|
What is charge frame in court in india-अपराध का कबूलनामा
चार्ज फ्रेम होने के बाद अदालत आरोपी से पूछती है कि क्या उसे अपना गुनाह स्वीकार है यानी कि आरोपी को अपना गुनाह कबूल है अगर आरोपी अपना गुनाह कबूल कर लेता है तो उसे उसी वक्त अगली पेशी पर सजा सुना दी जाती है लेकिन अगर आरोपी अपना गुनाह कबूल नहीं करता है तो फिर आपराधिक मुकदमे का विचारण शुरू होता है ऐसा बहुत कम ही देखने को मिला है कि जब आरोपी के द्वारा अपने गुनाह को स्वीकार कर लिया गया हो लेकिन यह विधि में एक प्रक्रिया है|
What is charge frame in court in india-ट्रायल प्रक्रिया में लंबी पेशी
ट्रायल प्रक्रिया में जो लंबी पेशी होती है जिससे काफी लोग परेशान होते हैं तो इसे आप बहुत जल्दी भी करवा सकते हैं संबंधित अधिवक्तागण से मिलकरके जो की अच्छे हो उनसे आप अपनी पेशी के बीच का जो अंतर है उसे कम करवा सकते हैं और इससे आपको फायदा यह होगा कि मामले का विचारण जल्दी खत्म हो जाएगा और आप उस केस से भी मुक्त हो जाएंगे|